इर्तेमासी वज़ू 279-282

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तौज़ीहुल मसाएल
वज़ू की दुआएं 283वज़ू करने का तरीक़ा 256-278
मसअला 279. इन्सान वज़ू की नियत से चेहरे और हाथों को पानी में डिबोए या उनको पानी में डिबो सकता है या पहले पानी में डिबो दे फिर वज़ू की नियत से बाहर निकाले। इसी को इरतेमाती वज़ू कहते हैं।
मसअला 280. इर्तेमासी वज़ू में आवश्यक यह है कि चेहरे और हाथों को ऊपर से नीचे की ओर धोए यानि जिस समय चेहरे या हाथ को पानी में डाले और वज़ू की नियत करे तो चेहरे को माथे की तरफ़ से और हाथों को कोहनी की ओर से पानी में डिबोए और अगर इन चीज़ो को पानी से निकालते समय वज़ू की नियत करे तो चेहरे को माथे की ओर से और हाथों की कोहनियों की तरफ़ से बाहर निकाले।
मसअला 281. इर्तेमासी वज़ू में भी चूंकि सर और पैर का मसा अतिरिक्त पानी से नही होना चाहिए इसलिए जब दाहिने और बांए हाथ का इर्तेमासी वज़ू करें तो नियत कर लें कि पानी से निकालने के बाद जब तक पानी हाथों पर रहेगा वज़ू का अंग होगा। अन्यथा इस सूरत के अलावा सर और पैर के मसा करने में इश्काल है।
मसअला 282. यह भी जाएज़ है कि कुछ अंगो का वज़ू इर्तेमासी हो और कुछ दूसरे अंगों का इर्तेमासी न हो और बेहतर यह है कि बाएं हाथ का वज़ू हमेशा ग़ैरे इर्तेमासी किया जाए ताकि सर और पैर के मसे के लिए कोई कठिनाई पेश न आए।
वज़ू की दुआएं 283वज़ू करने का तरीक़ा 256-278
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