53-62 पानी के अहकाम

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तौज़ीहुल मसाएल
शौचालय के अहकाम (पेशाब और पाख़ाना करना)63-7749-52 कुंवे का पानी
मसअला 53. मुज़ाफ़ पानी जिसका अर्ध आरम्भ में बयान किया गया है, अपवित्र वस्तू को पवित्र नही कर सकता है और उस से वज़ू या ग़ुस्ल सही नही है।
मसअला 54. मुज़ाफ़ पानी जैसे ही किसी अपवित्र वस्तु के संपर्क में आएगा अपवित्र हो जाएगा। सिर्फ तीन स्थिति मे अपवित्र नही होगा:
1. ऊपर से नीचे डालने में जैसे गुलाबदान से अपवित्र हाथ पर गुलाब डाला जाए तो जो गुलाब गुलाबदान मे है वह अपवित्र नही होगा।
2. जो मुज़ाफ़ पानी फव्वारे की तरह नीचे से ऊपर जा रहा हो तो ऊपर का जितना भाग अपवित्र वस्तु के संपर्क में आएगा वही अपवित्र होगा, नीचे का भाग पवित्र रहेगा।
3. मुज़ाफ़ पानी की मात्रा इतनी अधिक हो यह कहा जाए कि उसमें अपवित्रता समाहित नही हुई है, जैसे मुज़ाफ़ पानी का बहुत बड़ा तालाब हो और अपवित्र वस्तु उसके किसी एक किनारे पर गिर जाए, या तेल का बहुत ही लंबा पाइप हो और अपवित्र वस्तु उसके एक भाग में पड़ जाए तो ऐसी अवस्था में बाक़ी तेल अपवित्र नही होगा।
मसअला 55. अगर अपवित्र मुज़ाफ़ पानी, बहते हुए पानी या कुर पानी से इस तरह मिल जाए की उस को मुज़ाफ़ पानी ना कहा जाए तो वह पवित्र है।
मसअला 56. जो पानी मुतलक़ था, उसमें शक हो कि मुज़ाफ़ हुआ है या नही ? जैसे बाढ़ का पानी जिसके बारे में पता नही है कि उसको पानी कहते हैं या नही? तो वह मुतलक़ पानी ही है। यानी उससे अपवित्र चीज़ों को पवित्र किया जा सकता है। और उस से वज़ू और ग़ुस्ल भी किया जा सकता है। इसी तरह अगर मुज़ाफ़ पानी के बारे मे शंका हो कि मुतलक़ हुआ है कि नही तो वह मुज़ाफ़ के हुक्म में है।
मसअला 57. जिस पानी के बारे मे मालूम ना हो की मुतलक़ है या मुज़ाफ़ और पहले की स्थिति भी मालूम ना हो तो वह अपवित्र चीज़ को पवित्र नही कर सकता है। और उस से वज़ू और ग़ुस्ल भी सही नही है। लेकिन अगर कोई अपवित्र चीज़ उस से मिल जाए तो वह अपवित्र नही होगा।
मसअला 58. अगर अपवित्र चीज़ के निकट होने के कारण पानी में उस अपवित्र चीज़ की बू आ जाए तो वह पानी अपवित्र नही होगा। (हाँ अगर अपवित्र चीज़ के कण उस पानी मे गिर जाएं तो पानी अपवित्र हो जाएगा लेकिन फिर भी उसके बचना चाहिए।)
मसअला 59. जिस पानी का रंग, बू या स्वाद अपवित्र चीज़ के कारण बदल गया हो तो अगर उस का रंग बू या स्वाद अपने आप समाप्त हो जाए तो वह पानी पवित्र नही होगा। हाँ अगर कुर या बारीश के पानी से मिल जाए तो पवित्र हो जाएगा।
मसअला 60. जो पानी पहले पवित्र था, फिर शक हो कि अपवित्र हुआ है कि नही तो वह पवित्र है। और जो पानी पहले से अपवित्र था, उस के बारे मे शक हो कि पवित्र हुआ कि नही तो वह अपवित्र है।
मसअला 61. अपवित्र जानवर (जैसे कुत्ता, सुअर) का झूठा पानी अपवित्र है। लेकिन हराम गोश्त जानवर (जैसे बिल्ली आदि) का झूठा पानी पवित्र तो है लेकिन उसका पीना मकरूह है।
मसअला 62. पेय जल का स्वच्छ होना मुसतहिब है। ऐसा गंदा पानी पीना जिस से बीमारी की संभावना हो उसका पीना हराम है। हाथ मुंह और कपडे धोने का पानी भी साफ़ होना चाहिए बदबू वाले और गंदे पानी से यहा तक संभव हो बचना चाहिए।
शौचालय के अहकाम (पेशाब और पाख़ाना करना)63-7749-52 कुंवे का पानी
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