21. अँबिया और ज़िन्दगी के हर पहलू की इस्लाह

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
22. क़ौमी व नस्ली बरतरी की नफ़ी 20. गुज़िश्ता अँबिया की ख़बरे
21अँबिया और ज़िन्दगी के हर पहलू की इस्लाह
हमारा अक़ीदह है कि तमाम अदयाने ईलाही जो पैग़म्बरों पर नाज़िल हुए मखसूसन इस्लाम यह सिर्फ़ फ़रदी ज़िन्दगी या मानवी व अख़लाक़ी इस्लाह तक ही महदूद नही थे बल्कि इन का मक़सद इजतमई तौर पर इँसानी ज़िन्दगी के हर पहलू की इस्लाह कर के उन को कामयाबी अता करना था। यहाँ तक कि इंसान की रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में काम आने वाले बहुत से उलूम को भी लोगों ने अँबिया से ही सीखा है जिन में से कुछ के बारे में क़ुरआने करीम में भी इशारा मिलता है।
हमारा अक़ीदह है कि पैग़म्बराने ख़ुदा का सब से अहम हदफ़ इँसानी समाज मे अदालत को क़ाइम करना था। “लक़द अरसलना रुसुलना बिलबय्यिनाति व अनज़लना मअहुम अलकिताबा व अलमीज़ाना लियक़ूमा अन्नासि बिलक़िस्ति।”[60] यानी हम ने अपने रसूलों को रौशन दलीलों के साथ भेजा और उन पर आसमानी किताब व मीज़ान (हक़ को बातिल से पहचानना और आदिलाना क़वानीन) नाज़िल किये ताकि लोगों के दरमियान अदालत क़ाइम करें।
22. क़ौमी व नस्ली बरतरी की नफ़ी 20. गुज़िश्ता अँबिया की ख़बरे
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